जातिगत जनगणना एक जटिल कार्य है जिसका सामना भारत सरकार को करना पड़ रहा है। 1931 की जनगणना के बाद 2011 में मनमोहन सिंह सरकार ने सामाजिक आर्थिक जातीय जनगणना करवाई लेकिन इसके आंकड़ों में अनियमितता के कारण उन्हें सार्वजनिक नहीं किया जा सका। मोदी सरकार ने भी सुप्रीम कोर्ट में हलफनामे में जातीय जनगणना के आंकड़ों को जारी करने में असमर्थता जताई है।
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