प्रणब मुखर्जी ने कहा कि पिछले पचास वर्षों के सार्वजनिक जीवन में मेरी पवित्र पुस्तक भारत का संविधान रहा है। मेरा मंदिर भारत की संसद और मेरा जुनून भारत के लोगों की सेवा रहा है।
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