पारंपरिक खिलौना उद्योग के आत्मनिर्भर बनने पर देश की अर्थव्यवस्था होगी मजबूत और चीन को लगेगा बड़ा झटका
वर्ष 1990 के आसपास देश के पूर्व से लेकर पश्चिम तक और उत्तर से लेकर दक्षिण तक लकड़ी के खिलौने खूब बिकते थे। थोड़े महंगे जरूर थे लेकिन उनकी खूबसूरती मन मोह लेती थी। इसी बीच सस्ते और हल्के खिलौनों का भारतीय बाजार में प्रवेश हुआ।
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