पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद को एक पत्र भी लिखा था। उन्होंने पत्र में लिखा कि वे कैबिनेट से बात करने की इच्छुक थीं लेकिन दुर्भाग्यवश उस रात यह संभव नहीं हो पाया था। आपातकाल लागू होते ही सेना ने मोर्चा संभाल लिया था। गिरफ्तारियां का दौर शुरू हो चुका था। लगभग एक लाख लोगों को जेलों में ठूंस दिया गया था।
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