एनटीसीए ने चीतों की मौत के पीछे कालर आइडी या फिर दूसरी वजहों को लेकर लगाई जा रही अटकलों को पूरी तरह खारिज कर दिया। कहा कि यह सिर्फ अफवाह है और इसका कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है। एनटीसीए ने यह भी साफ किया कि वैश्विक स्तर पर चीतों की मृत्युदर वैसे भी 50 प्रतिशत से अधिक है। ( जागरण-फोटो )
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