अटार्नी जनरल ने कहा कि संविधान सभा की सिफारिश राष्ट्रपति पर बाध्यकारी नहीं है वह सिर्फ सिफारिश है। लेकिन पीठ ने कहा कि संवैधानिक प्राविधान में उस सिफारिश का अलग मतलब निकलता है इस पर सालिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि राष्ट्रपति का भारत के संविधान से बाहर की संस्था से बंधा होना शायद हमारे संविधान की सही व्याख्या नहीं हो सकती।
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