मोहनदास करमचंद गांधी जब इंग्लैंड से कानून की पढ़ाई कर भारत लौटे तो वह बैरिस्टर कहलाए। उनका विचार था कि वह राजकोट में ही वकालत करें लेकिन मित्रों की सलाह पर उन्होंने मुंबई से वकालत करने और अनुभव प्राप्त करने का निश्चय किया। गांधी जी को परिवार के लोगों ने समझाया कि किसी भी क्षेत्र में तजुर्बा बहुत मायने रखता है।
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