मृत्यु के बाद पीने-पिलाने, खाने-खिलाने, नाचने-गाने और बकायदा जश्न मनाने का चलन कई जातियों में है। गौरतलब तथ्य यह है कि इन सभी बिरादरियों की शिनाख्त काशी के मूल वासियों के रूप में है।
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