धरती के एक साल के संसाधन सात महीने में हुए चट, अब उधार पर कट रहा है जीवन

विकास के नाम पर विनाश की ओर बढ़ रही है दुनिया। दोनों में संतुलन साधने की बात तमाम विशेषज्ञ करते हैं। अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए जंगल काटते जा रहे हैं।

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