अभी कुछ चुनिंदा संस्थानों में ही ऐसे बच्चों की पढ़ाई से जुड़ी सुविधा है। एक रिपोर्ट के मुताबिक मौजूदा समय में देश में दृष्टिबाधित या फिर आंशिक रूप से देखने की क्षमता छात्रों की संख्या दो करोड़ से अधिक है।
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