क्षेत्रीय दलों की राजनीति पर भारी पड़ सकती है जातिगत गणना, हिंदी भाषी प्रदेशों के साथ कई राज्यों में उठी मांग

कर्नाटक में तो एक दशक पहले ही इस तरह की गणना कराई जा चुकी है। यह अलग बात है कि उसकी रिपोर्ट जारी करने की हिम्मत कांग्रेस की तत्कालीन सिद्दरमैया सरकार ने नहीं जुटाई। सच यह भी है कि कर्नाटक की जिस सरकार ने जातियों की आबादी गिनी उसे अगले विधानसभा चुनाव में हार का सामना करना पड़ा। जातिगत गणना के मुद्दे पर राजनीति करने वाले अधिकतर क्षेत्रीय दल हैं।

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