सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि हिंदू विवाह नाचने-गाने खाने-पीने या वाणिज्यिक लेनदेन का अवसर नहीं है। वैध रस्मों को पूरा किए बिना किसी शादी को हिंदू विवाह अधिनियम के तहत मान्यता नहीं दी जा सकती है। जहां विवाह सप्तपदी (दूल्हा एवं दुल्हन द्वारा पवित्र अग्नि के समक्ष सात फेरे लेना) जैसे रस्मों के अनुसार नहीं किया गया हो उस विवाह को हिंदू विवाह नहीं माना जाएगा।
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